Tuesday 28 February 2012

जुपिटर ग्रह की विशिष्टताएं

सबसे पहले उसका विशाल आकार है. ग्रहों का राजा. 1320 पृथ्वी इसके अंदर समां सकती हैं.
दूसरी विशेषता ग्रेट रेड स्पॉट है. यह एक विशाल तूफान (तीन पृथ्वी के व्यास) है जो कि  तीन सदियों से (गैलिलियो  ने इसका सत्रहवीं सदी में पता लगाया ) अधिक अस्तित्व में है . यह शायद सैकड़ों या हजारों साल के लिए मौजूद रहेगा.
तीसरी विशेषता इसके कई चन्द्रमा है. बृहस्पति के सौर मंडल में किसी भी ग्रह के मुकाबले सबसे अधिक चन्द्रमा है: 63

गैलीलियो गैलिली का प्रमुख योगदान


जिसने दूरबीन में सुधार कर उसे अधिक शक्तिशाली तथा खगोलीय प्रेक्षणों के लिए उपयुक्त बनाया और साथ ही अपने प्रेक्षणों से ऐसे चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए जिसने खगोल विज्ञान को नई दिशा दी और आधुनिक खगोल विज्ञान की नींव रखी।
वे एक कुशल गणितज्ञ, भौतिकीविद् और दार्शनिक भी थे जिसने यूरोप की वैज्ञानिक क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसीलिए गैलीलियो को 'आधुनिक खगोल विज्ञान के जनक', 'आधुनिक भौतिकी का पिता' या 'विज्ञान का पिता' के रूप में संबोधित किया जाता है। इसीलिए गैलीलियो को 'आधुनिक खगोल विज्ञान के जनक', 'आधुनिक भौतिकी का पिता' या 'विज्ञान का पिता' के रूप में संबोधित किया जाता है।
उन्होंने पीसा की मीनार के अपने प्रसिद्ध प्रयोग द्वारा सिद्ध किया कि वस्तुओं के गिरने की गति उनके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती।
गैलीलियो ने गतिकी के समीकरण(Dynamics of the equation) और जड़त्व का नियम(Law of इनेर्टिया) स्थापित किया.
गैलिलियो ने उच्च कोटि का कम्पास बनाया जो समुंद्री यात्रियों के लिए काफ़ी उपयोगी सिद्ध हुआ
उसके अन्य आविष्कारों में थर्मामीटर, सूक्ष्मदर्शी, पेंडुलम घड़ी इत्यादि हैं।

Monday 16 January 2012

Possible Vs Impossible..

is it possible that we get a new life in any way.. how we can prove it .. if we talk about law of physic.. nothing can be destroyed or created.. only changement can be take place.. it proves that we get new life.. but how we can say that we get human only..?
क्या ये संभव हे की हमें नया जीवन मिलेगा.. ? हम इसे कैसे सिद्ध कर सकते हैं ..? अगर हम physics के सिधांत की बात करे तो उसके अनुसार कुछ भी पैदा या ख़तम नही होता.. बस बदलता है.. इससे ये सिद्ध होता है की हमें नया जीवन मिलेगा.. पर हम ये कैसे कह सकते है की हम इंसान ही बनेगे..?
में  उपरोक्त पंक्तियों से उन लोगों की मन की शंका दूर कर दू जो इस दुविधा में रहते है की उनको नया जीवन मिलेगा या नही.. मरने के बाद क्या होगा..? और ये बाद सिद्ध है कोई अन्धविश्वास नही है.. पर एक हकीकत से पर्दा हटाना चाहता हु.. इंसान एक ऐसी मशीन है जो खुद सोच सकती है .. और अपने फैसले खुद ले सकता है .. मैं इसे मशीने इसलिए मानता हु क्योंकि मशीन का एक पुर्जा ख़राब हो जाये तो उसकी जगह दूसरा पुर्जा लगाया जा सकता है.. ठीक उसी तरह जैसे आज के विज्ञानं ने ये सिद्ध कर दिया है की अगर इन्सान की किडनी ख़राब हो जाये तो दूसरी किडनी लगायी जा सकती है.. पर यहाँ अभी कुछ बुद्धि जीव ये भी कह सकते है की किडनी बनाएगा कौन..? बॉस जब विज्ञानं यहाँ तक पहुच गया है तो वहा तक भी पहुच जायेगा..
अब जब ये सिद्ध हो गया है की इंसान एक मशीन है तो ये भी सत्य है की मशीन का कुछ भी अपना नही होता..
चलो एक बात लेके कुछ निष्कर्ष निकालें .. एक दिन एक मशीन ख़राब हो गयी.. उसे तोड़ने क लिए भेजा जाता है.. अपने अंतिम समय में मशीन कहती है.."क्या मेरा नया जनम होगा.."
कोई मशीन अगर ये सवाल करे तो बड़ा अजीब सा लगेगा.. अरे मशीन का अपना है क्या.. उसके पार्ट्स कल को किसी और में लग जायेंगे.. ठीक ये सवाल तो उसके अंदर लगे कलपुर्जे भी कर सकते है..
अरे जिसे आप अपना समझते है वो आपका है कहा.. तो आप किस हक से कह सकते है की मुझे नया जीवन मिलेगा.. जब आपके द्वारा इस्तेमाल की हुई प्लास्टिक की पन्नी Recycle होती है तो आप ये कैसे कह सकते है की ये वो पन्नी है जिसे आप ने इस्तेमाल किया था.. पर आप उसके अस्तित्व के होने से इनकार नही कर सकते.. ठीक यही क्रिया हे पुनर्जन्म की.. किसी वहम को मन में न पाले की कोई चमत्कार है

Friday 6 January 2012

नशा क्या है .. क्या ये जरुरी है..

हर चीज की अपनी एक सीमा होती है 

सभी जानते हैं कि नशा खराब है..??? इससे शरीर, मन, धन, परिवार सब कुछ दाँव पर लग जाता है, मगर फिर भी लोग विशेषकर युवा बुरी तरह से इसकी गिरफ्‍त में आ जाते हैं। आज हर दूसरा युवा किसी न किसी नशे को अपनाता है। प्रारंभ में शौक में किया गया नशा बाद में लत बनता जाता है और सारा करियर तक चौपट कर सकता है।यह सच है कि नशे का आदी बनने में वातावरण का भी हाथ होता है, मगर हॉरोस्कोप यह संकेत पहले ही दे देता है कि किस व्यक्ति की रुचि नशा करने में रहेगी और वह किस तरह का नशा करेगा। यदि किशोरावस्था में ही इन संकेतों को समझकर संबंधित उपाय किए जाएँ तो उसे नशे के दानव की गिरफ्‍त में आने से बचाया जा सकता है।
प्राचीन काल में लोग सोमरस तथा हुक्का पीते थे। आधुनिक युग में इसी बात को आधार बनाकर कहा जाता है। कि नशे की संस्कृति आदिमकाल से जुड़ी हुई है। वैयक्तिक, पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन में घुल रहीं अनेक विकृतियों के मूल में एक बड़ा कारण नशे की प्रवृत्ति है। इससे आर्थिक, मानसिक, षारीरिक और भावनात्मक स्तर पर मनुष्य का जितना अहित होता है, उसे आंकड़ो में प्रस्तुतिदी जाय तो उसकी आंखें खुल सकती है। मद्यपान और ध्रूम्रपान को नियन्त्रित या रोकने के लिए पहला सूत्र है हढ संकल्प और दूसरा सूत्र है संकल्प की पूर्ति के लिए कारगर उपायों की खोज कुछ लोग नषीले व मादक पदार्थो के उत्पादन व सेवन पर रोक लगाने की मागं करते हैं। कुछ लोग चाहते हैं कि पाठयक्रम में ऐसे पाठ जोड़े जाएं, जो मादक व नषीले पदार्थो के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों को प्रंभावी ढ़ग से प्रस्तुत करते हों। कुछ लोग इलेक्ट्रोनिक्स प्रचार माध्यमों से वातावरण या मानसिकता बदलने की बात करते हैं। कुछ लोगों का चिन्तन है कि तम्बाकू की खेती और बीड़ी उद्योग, कामगरों के सामने नया विकल्प प्रस्तुत किया जाय।


नशे की आदत कैसे लगती है ?
इस प्रष्न पर अलग-अलग अभिमत हैं। कुछ व्यक्ति चिन्ता, थकान और परेषानी से छुटकारा पाने की चाह से नशे के क्षेत्र में प्रवेष करते है। कुछ व्यक्ति चिन्ता, थकान और परेषानी से छुटकारा पाने की चाह से नशे के क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। कुछ व्यक्ति चिन्ता, थाकान और परेषानी से छुटकारा पाने की चाहसे नशे के क्षेनशे की आदत कैसे लगती है ?

इस प्रष्न पर अलग-अलग अभिमत हैं। कुछ व्यक्ति चिन्ता, थकान और परेषानी से छुटकारा पाने की चाह से नशे के क्षेत्र में प्रवेष करते है। कुछ व्यक्ति चिन्ता, थकान और परेषानी से छुटकारा पाने की चाह से नशे के क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। कुछ व्यक्ति चिन्ता, थाकान और परेषानी से छुटकारा पाने की चाहसे नशे के क्षेत्र में प्रवेष करते है। कुछ व्यक्ति संघर्षों से जूझने के लिए नषा करते हैं। कुछ व्यक्ति चुस्त, दुरूस्त और आधुनिक कहलाने के लोभ में नषे के चंगुल में फंसते है। कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं, जो दूसरे लोगों को धूम्रपान या मदिरापान करते हुए देखते हैं, तो उनके मन में एक उत्सुमता जागती है है और उनके कदम बहक जाते हैं। कुछ व्यावसायिक ऐसी आकर्षक वस्तुओं का निर्माण करते हैं कि उपभोक्ता उनका प्रयोग किये बिना रह नहीं सकता। कुछ व्यक्ति साथियो के लिहाज या दबाव के कारण नशे के षिकार होते हैं, और भी अनेक कारण हो सकते हैं। कारण कुछ भी हो, एक बार नशे की लत लग जाने के बाद मनुष्य विवश
हो जाता है। फिर तो वह प्रयत्न करने पर भी उससे मुक्त होने में लोग कठिनाई अनुभव करता है।त्र में प्रनशे की आदत कैसे लगती है ?

इस प्रष्न पर अलग-अलग अभिमत हैं। कुछ व्यक्ति चिन्ता, थकान और परेषानी से छुटकारा पाने की चाह से नशे के क्षेत्र में प्रवेष करते है। कुछ व्यक्ति चिन्ता, थकान और परेषानी से छुटकारा पाने की चाह से नशे के क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। कुछ व्यक्ति चिन्ता, थाकान और परेषानी से छुटकारा पाने की चाहसे नशे के क्षेत्र में प्रवेष करते है। कुछ व्यक्ति संघर्षों से जूझने के लिए नषा करते हैं। कुछ व्यक्ति चुस्त, दुरूस्त और आधुनिक कहलाने के लोभ में नषे के चंगुल में फंसते है। कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं, जो दूसरे लोगों को धूम्रपान या मदिरापान करते हुए देखते हैं, तो उनके मन में एक उत्सुमता जागती है है और उनके कदम बहक जाते हैं। कुछ व्यावसायिक ऐसी आकर्षक वस्तुओं का निर्माण करते हैं कि उपभोक्ता उनका प्रयोग किये बिना रह नहीं सकता। कुछ व्यक्ति साथियो के लिहाज या दबाव के कारण नशे के षिकार होते हैं, और भी अनेक कारण हो सकते हैं। कारण कुछ भी हो, एक बार नशे की लत लग जाने के बाद मनुष्य विवश
हो जाता है। फिर तो वह प्रयत्न करने पर भी उससे मुक्त होने में लोग कठिनाई अनुभव करता है।वेष करते है। कुछ व्यक्ति संघर्षों से जूझने के लिए नषा करते हैं। कुछ व्यक्ति चुस्त, दुरूस्त और आधुनिक कहलाने के लोभ में नषे के चंगुल में फंसते है। कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं, जो दूसरे लोगों को धूम्रपान या मदिरापान करते हुए देखते हैं, तो उनके मन में एक उत्सुमता जागती है है और उनके कदम बहक जाते हैं। कुछ व्यावसायिक ऐसी आकर्षक वस्तुओं का निर्माण करते हैं कि उपभोक्ता उनका प्रयोग किये बिना रह नहीं सकता। कुछ व्यक्ति साथियो के लिहाज या दबाव के कारण नशे के षिकार होते हैं, और भी अनेक कारण हो सकते हैं। कारण कुछ भी हो, एक बार नशे की लत लग जाने के बाद मनुष्य विवश
हो जाता है। फिर तो वह प्रयत्न करने पर भी उससे मुक्त होने में लोग कठिनाई अनुभव करता है।